LPG Price Hike 2025: हर दिन की शुरुआत रसोई से होती है, लेकिन जब उसी रसोई में आग जलाना मुश्किल हो जाए, तो जिंदगी की उलझनें और बढ़ जाती हैं। कुछ ऐसा ही हाल आजकल हर गरीब और मिडिल क्लास परिवार का हो गया है। LPG सिलेंडर की कीमतें फिर से बढ़ा दी गई हैं और अब यह बोझ हर आम आदमी की कमर तोड़ने लगा है।
रसोई गैस बनी जीने का जरिया, लेकिन कीमत ने बढ़ाई बेचैनी
हर घर में LPG सिलेंडर एक जरूरत है। रोटी-पानी से लेकर बच्चों की टिफिन तक, हर काम गैस से जुड़ा होता है। लेकिन अब जब घरेलू सिलेंडर का दाम ₹803 से बढ़ाकर ₹853 और उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों के लिए ₹503 से बढ़ाकर ₹553 कर दिया गया है, तो गरीब और मिडिल क्लास परिवारों की चिंता और भी गहरा गई है।
क्यों बढ़े दाम, और क्या कहती है सरकार?
सरकार का तर्क है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और ट्रांसपोर्टेशन की लागत बढ़ने की वजह से LPG के दाम बढ़ाए गए हैं। कंपनियों को नुकसान से बचाने और बाजार की स्थिरता बनाए रखने के लिए ये फैसला जरूरी बताया गया है। लेकिन इन तमाम वजहों के बीच जो सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहा है, वो है आम इंसान।
घर का बजट बिगड़ा, लौटे पुराने दिनों की ओर
महंगाई की मार झेल रहे परिवारों के लिए अब गैस सिलेंडर खरीदना एक बड़ा फैसला बन गया है। कई लोग अब पुराने तरीकों की ओर लौटने लगे हैं – लकड़ी जलाना, कोयले पर खाना बनाना या फिर गैस का उपयोग कम कर देना। इससे न सिर्फ उनके स्वास्थ्य पर असर पड़ता है, बल्कि रसोई का समय भी बढ़ जाता है।
उज्ज्वला योजना: राहत भी, चुनौती भी
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना ने गरीब परिवारों को रसोई गैस की सुविधा तो दी, लेकिन अब वही सुविधा एक चुनौती बन गई है। ₹553 का सिलेंडर उन परिवारों के लिए भी महंगा साबित हो रहा है जो पहले ₹503 में उसे ले पा रहे थे। सब्सिडी जरूर जारी है, लेकिन बढ़ती कीमतों के सामने वह राहत भी फीकी पड़ रही है।
मिडिल क्लास की जंग: बच्चों की फीस या गैस सिलेंडर?
मिडिल क्लास की हालत और भी कठिन है। उन्हें बच्चों की पढ़ाई, घर का किराया, बिजली का बिल और दवा जैसे अनगिनत खर्चों का सामना करना पड़ता है। अब जब गैस महंगी हो गई है, तो उन्हें सब्जियों और बाकी जरूरी चीजों में कटौती करनी पड़ रही है। कई परिवारों ने होटल में खाना जाना या बाहर से खाना मंगवाना बंद कर दिया है।
सिर्फ रसोई तक नहीं, पूरे बाजार पर असर
गैस की कीमतें सिर्फ घरों तक सीमित नहीं रहतीं। ठेले, छोटे होटल, चाय की दुकान, फास्ट फूड सेंटर – सब जगह इसका असर दिखता है। जब गैस महंगी होती है, तो इन व्यवसायों का खर्च भी बढ़ता है और आम जनता को खाने-पीने की चीजों के लिए ज्यादा पैसे देने पड़ते हैं।
क्या सरकार देगी राहत?
लोगों को उम्मीद है कि सरकार इस बढ़ती महंगाई को देखते हुए कोई ठोस कदम उठाएगी। कुछ राज्य जैसे तेलंगाना ने अपने स्तर पर राहत दी है, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर अभी कोई बड़ा ऐलान नहीं हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि सब्सिडी बढ़ाकर या किसी नई योजना के जरिए सरकार आम लोगों को राहत दे सकती है।
निष्कर्ष: चूल्हा बुझने से पहले कोई हल जरूरी है
LPG की कीमतों में बढ़ोतरी से सबसे ज्यादा प्रभावित गरीब और मिडिल क्लास हैं। उज्ज्वला योजना जैसी कोशिशें सराहनीय हैं, लेकिन अगर कीमतें काबू में नहीं आईं, तो उन योजनाओं का फायदा भी अधूरा रह जाएगा। सरकार को चाहिए कि वो आम जनता की रसोई तक अपनी संवेदनशीलता पहुँचाए, ताकि हर घर में चूल्हा आसानी से जलता रहे।
Disclaimer: इस लेख का उद्देश्य सिर्फ जनसामान्य को जानकारी देना है। कृपया किसी भी वित्तीय निर्णय से पहले संबंधित सरकारी पोर्टल या विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।
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