Chandra Grahan : कभी-कभी आसमान हमें ऐसे नज़ारे दिखा देता है जो जिंदगीभर याद रह जाते हैं। सितारों से भरे आकाश में जब चांद अपनी अनोखी अदाओं में ढलता है तो पूरी दुनिया उसकी खूबसूरती को निहारने लगती है। कुछ ऐसा ही नज़ारा इस साल 7 सितंबर 2025 की रात दिखाई देने वाला है, जब पूर्ण चंद्र ग्रहण यानी चंद्र ग्रहण के दौरान चांद लाल और तांबे जैसी रंगत में बदलकर ब्लड मून का रूप ले लेगा। यह न केवल खगोल विज्ञान के लिहाज से बल्कि आम लोगों के लिए भी बेहद खास पल होगा।
कब और कहां दिखेगा यह चंद्र ग्रहण
खगोलविदों के अनुसार यह चंद्र ग्रहण रात को देर से शुरू होगा और एक घंटे से ज्यादा चलेगा। भारत में यह 7 सितंबर की रात 11:00 बजे से 8 सितंबर की सुबह 12:22 बजे (IST) तक साफ दिखाई देगा। भारत के साथ-साथ चीन, रूस, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया, पूर्वी अफ्रीका और अरब देशों में भी इसका अद्भुत दृश्य देखा जा सकेगा। यूरोप और ब्रिटेन में लोग इसे चांद के उदय होते समय देख पाएंगे। हालांकि उत्तरी अमेरिका के ज्यादातर हिस्सों में यह दिखाई नहीं देगा, केवल अलास्का के पश्चिमी क्षेत्र में आंशिक ग्रहण देखने का मौका मिल सकता है।
क्यों बदलता है चांद का रंग लाल?
पूर्ण चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी की छाया पूरी तरह से चांद को ढक लेती है। इस दौरान सूर्य की सीधी रोशनी चांद तक नहीं पहुंच पाती। लेकिन पृथ्वी के वातावरण से गुजरने वाली रोशनी चांद तक पहुंचती है। इस प्रक्रिया में नीली रोशनी बिखर जाती है और लाल रोशनी मुड़कर चांद पर पड़ती है। इसी वजह से चांद की सतह पर लालिमा झलकने लगती है और वह ब्लड मून जैसा दिखाई देता है। भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान के वैज्ञानिकों के अनुसार यही विशेष प्रभाव सामान्य चंद्र ग्रहण को अद्भुत और मनमोहक बना देता है।
भारत में चंद्र ग्रहण का महत्व
भारत में चंद्र ग्रहण केवल खगोलीय घटना नहीं है, बल्कि इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। ग्रहण के समय कई लोग विशेष पूजा-पाठ और स्नान जैसे धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। वहीं वैज्ञानिक और खगोल प्रेमी इसे दुर्लभ अवसर मानकर शोध और अवलोकन करते हैं। यही वजह है कि इस बार का चंद्र ग्रहण न सिर्फ मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर बल्कि वैज्ञानिक समुदाय और आम जनता के बीच भी खास चर्चा का विषय बना हुआ है।
क्या करें खास तैयारी
विशेषज्ञों की मानें तो इस ब्लड मून का सबसे अच्छा नज़ारा उन जगहों से मिलेगा जहां कृत्रिम रोशनी कम हो। यानी अगर आप शहर की भागदौड़ और चमकती रोशनी से दूर किसी खुले मैदान या छत पर जाएंगे तो आपको आकाश का यह अनोखा रूप और भी साफ दिखाई देगा। साफ मौसम और खुले आसमान के साथ यह नज़ारा इस दशक की सबसे यादगार खगोलीय घटना साबित हो सकता है।
निष्कर्ष:-
7 सितंबर 2025 की रात का यह चंद्र ग्रहण सिर्फ एक खगोलीय घटना नहीं, बल्कि प्रकृति का एक शानदार तोहफा है। जब चांद अपनी रौशनी को छोड़कर लाल और तांबे जैसे रंगों में रंग जाएगा तो पूरी दुनिया उसकी इस जादुई अदाकारी की गवाह बनेगी। यह नज़ारा हमें याद दिलाएगा कि ब्रह्मांड कितना विशाल और रहस्यमयी है।
डिस्क्लेमर: यह लेख उपलब्ध मीडिया रिपोर्ट्स और खगोल वैज्ञानिकों की साझा की गई जानकारी पर आधारित है। चंद्र ग्रहण की दृश्यता मौसम और स्थानीय परिस्थितियों पर निर्भर करेगी।
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