Bihar Elections 2025: बिहार की राजनीति हमेशा से ही पूरे देश का ध्यान खींचती आई है। यहां की सियासी जंग सिर्फ पार्टियों के बीच का संघर्ष नहीं होती, बल्कि यह बिहार के लोगों के सपनों, उम्मीदों और भविष्य से भी जुड़ी होती है। अब जब 2025 विधानसभा चुनाव की आहट सुनाई देने लगी है, टाइम्स नाउ-जेवीसी के ताज़ा ओपिनियन पोल ने बिहार की राजनीति का पूरा समीकरण हिला कर रख दिया है।
एनडीए की होगी भारी जीत?
ओपिनियन पोल के मुताबिक, भाजपा और जेडीयू के नेतृत्व वाला एनडीए इस बार बिहार विधानसभा में आराम से बहुमत का जादुई आंकड़ा पार कर सकता है। अनुमान लगाया गया है कि 243 सीटों में से एनडीए को 136 सीटें मिल सकती हैं। यह आंकड़ा बताता है कि जनता इस बार फिर से भाजपा-जेडीयू गठबंधन पर भरोसा जता सकती है।
पोल के अनुसार, भाजपा की स्थिति पिछले चुनाव से और मज़बूत हुई है। 2020 में भाजपा ने 74 सीटें जीती थीं, लेकिन इस बार यह आंकड़ा बढ़कर 81 तक पहुंच सकता है। इनमें से 64 सीटों पर भाजपा की सीधी जीत दिख रही है, जबकि 17 सीटों पर पार्टी को कड़ा मुकाबला मिल रहा है, लेकिन बढ़त उसके पास है। वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जेडीयू को इस बार सिर्फ 31 सीटें मिलने का अनुमान है, जो कि 2020 में मिली 43 सीटों से 12 कम हैं।
महागठबंधन की मुश्किलें
महागठबंधन के लिए यह ओपिनियन पोल निराशाजनक नतीजे लेकर आया है। तेजस्वी यादव की आरजेडी, जो 2020 में 75 सीटों पर जीती थी, इस बार सिर्फ 52 सीटों तक सिमटती नज़र आ रही है। वहीं कांग्रेस की हालत और भी खराब हो सकती है। 2020 में कांग्रेस ने 19 सीटें जीती थीं, लेकिन अब उसके लिए केवल 10 सीटों की भविष्यवाणी की गई है। यह गिरावट महागठबंधन की रणनीति पर सवाल खड़े करती है और साफ करती है कि जनता अब कुछ नया चाह रही है।
नया खिलाड़ी: जन सुराज पार्टी का असर
इस ओपिनियन पोल की सबसे बड़ी ‘सरप्राइज’ एंट्री रही प्रशांत किशोर की नई पार्टी ‘जन सुराज’। अभी तक चुनाव मैदान में कोई खास पकड़ न होने के बावजूद जन सुराज को 2 सीटें मिलती हुई दिखाई जा रही हैं। दिलचस्प बात यह है कि पोल में दावा किया गया है कि वामपंथी गढ़ों में जन सुराज ने युवाओं को अपनी तरफ खींचा है। राजनीतिक विश्लेषक जेवीसी श्रीराम का मानना है कि कम्युनिस्ट पार्टियों का युवा वोट बैंक अब जन सुराज की तरफ शिफ्ट हो रहा है। यही नहीं, ऊपरी जातियों से भी इस पार्टी को समर्थन मिलता दिख रहा है।
सीटों का समीकरण
अगर 2020 और 2025 की तुलना करें, तो तस्वीर कुछ ऐसी बनती है: भाजपा को 7 सीटों का फायदा, जेडीयू को 12 सीटों का नुकसान, कांग्रेस को 9 सीटों की गिरावट और आरजेडी को 23 सीटों का बड़ा झटका लग सकता है। ऐसे में साफ है कि एनडीए की गाड़ी तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही है, जबकि महागठबंधन के पहिए धीमे पड़ते जा रहे हैं।
जनता का मूड और चुनावी माहौल
पोल जुलाई और अगस्त के बीच कराया गया, जिसमें 63,419 लोगों की राय ली गई। इसमें 34,560 पुरुष और 28,859 महिलाएं शामिल थीं। इतना बड़ा सर्वे यह बताता है कि जनता के बीच एनडीए का भरोसा अभी भी कायम है। हालांकि, यह भी सच है कि चुनावी माहौल तेजी से बदलता है और बिहार जैसे राज्य में आखिरी वक्त में समीकरण पूरी तरह बदल जाना कोई नई बात नहीं है।
निष्कर्ष
2025 के चुनाव बिहार के भविष्य को एक नई दिशा देंगे। एक तरफ भाजपा और जेडीयू की जोड़ी है, जो बहुमत के करीब नज़र आ रही है, वहीं दूसरी तरफ तेजस्वी यादव और कांग्रेस का गठबंधन है, जो अपनी पकड़ खोता दिख रहा है। वहीं प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी इस बार ‘किंगमेकर’ न सही, लेकिन आने वाले वक्त की बड़ी ताकत बनने की नींव रखती नज़र आ रही है।
डिस्क्लेमर: यह लेख टाइम्स नाउ-जेवीसी ओपिनियन पोल पर आधारित है। इसमें दिए गए आंकड़े और अनुमान सिर्फ सर्वे के नतीजे हैं। असली तस्वीर चुनाव परिणाम आने के बाद ही साफ होगी।
Bihar :SIR Case 124 साल की मिंता देवी और ‘पहली बार वोट, कांग्रेस के टी-शर्ट विरोध से मचा बवाल