Alaska Meeting :अलास्का की ठंडी हवाओं में इस बार सिर्फ ग्लेशियरों की ठंडक ही नहीं, बल्कि दुनिया की दो सबसे ताकतवर हस्तियों के मिलने की गर्माहट भी महसूस होगी। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की ऐतिहासिक मुलाकात ने अलास्का को अचानक से दुनिया की सुर्खियों में ला दिया है। इस मुलाकात की तैयारियां इतनी तगड़ी और सटीक हैं कि मानो किसी हॉलीवुड थ्रिलर फिल्म की स्क्रिप्ट हकीकत बन गई हो।
गुप्त सेवा का अल्टीमेट मिशन
जब ट्रंप ने एक हफ्ते पहले इस मुलाकात का ऐलान किया, तो अलास्का में अमेरिकी सीक्रेट सर्विस के अकेले तैनात एजेंट के सामने मानो पहाड़ टूट पड़ा। सिर्फ सात दिनों में सैकड़ों एजेंट, सुरक्षा उपकरण, बख्तरबंद गाड़ियां और हथियार अलास्का पहुंचाने का काम शुरू हो गया। खास बात यह है कि इस बार सीक्रेट सर्विस को सिर्फ अपने राष्ट्रपति की ही नहीं, बल्कि रूसी राष्ट्रपति की भी सुरक्षा करनी है — और वो भी एक ही जगह, लेकिन बिल्कुल अलग-अलग सुरक्षा घेरे में।
होटल से लेकर गाड़ियों तक की किल्लत
एंकोरेज शहर इस समय टूरिस्ट सीजन के चरम पर है। होटल के कमरे, किराए की कारें और यहां तक कि छोटी मोटी रहने की जगह भी पहले से बुक थी। ऐसे में स्थानीय लोगों से लेकर रियल एस्टेट एजेंट तक, सबको सीक्रेट सर्विस और रूसी अधिकारियों के ठहरने के इंतजाम में लगाया गया। गाड़ियां अमेरिका के निचले हिस्सों से हवाई जहाज के जरिए यहां पहुंचाई जा रही हैं, ताकि दोनों नेताओं के मोटरकेड में कोई कमी न रहे।
मुलाकात की जगह और वजह
यह ऐतिहासिक बैठक अलास्का के सबसे बड़े सैन्य ठिकाने — जॉइंट बेस एलमेंडॉर्फ-रिचर्डसन — में हो रही है। यह जगह रूस से करीब 1,000 मील दूर है और कोल्ड वॉर के समय से ही रणनीतिक रूप से बेहद अहम रही है। यहां की एयरस्पेस पूरी तरह नियंत्रित है, सुरक्षा गेट्स मजबूत हैं और फौजी टुकड़ियां तुरंत हरकत में आ सकती हैं।
सुरक्षा में अद्भुत बराबरी
इस बैठक में सुरक्षा के मामले में एक अनोखा नियम लागू हो रहा है — “बॉडी फॉर बॉडी, गन फॉर गन” यानी अगर किसी जगह 10 अमेरिकी एजेंट तैनात हैं, तो ठीक सामने 10 रूसी एजेंट होंगे। दोनों देशों के सुरक्षाकर्मी एक-दूसरे के दरवाजे नहीं खोलेंगे, एक-दूसरे की गाड़ियों में नहीं बैठेंगे और हर सुविधा बराबरी से दी जाएगी। यहां तक कि दुभाषियों की संख्या और कमरों का आकार भी बराबर रखा जा रहा है।
बैकग्राउंड में चल रही बड़ी कूटनीति
ट्रंप इस बैठक को यूक्रेन युद्ध खत्म करने की दिशा में “पहला कदम” बता रहे हैं और यहां तक इशारा दे चुके हैं कि किसी तरह का क्षेत्रीय समझौता हो सकता है। वहीं, पुतिन भी ट्रंप के साथ रिश्तों को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं, साथ ही आर्थिक सहयोग और नए हथियार नियंत्रण समझौते का वादा भी कर रहे हैं।
अभी दुनिया की निगाहें इस बर्फीली धरती पर टिकी हैं, जहां न केवल दो महाशक्तियां आमने-सामने बैठेंगी, बल्कि एक नई राजनीतिक दिशा तय हो सकती है। सवाल ये है कि क्या यह मुलाकात वास्तव में दुनिया में शांति की बर्फ जमाएगी, या फिर राजनीति की आग को और भड़का देगी।
अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी उपलब्ध समाचार स्रोतों पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल सामान्य जानकारी प्रदान करना है। किसी भी राजनीतिक निष्कर्ष या राय के लिए पाठक स्वयं जिम्मेदार होंगे।
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