Bihar Election 2025 :ECI का बड़ा फैसला बिहार में हर वोटर को मिलेगा अपना पक्ष रखने का मौका

Bihar Election 2025 :लोकतंत्र में हर वोट की अपनी कीमत होती है, और जब बात चुनाव की आती है, तो एक नाम का जुड़ना या कटना भी बड़ा असर डाल सकता है। बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट को लेकर उठ रहे सवालों के बीच, चुनाव आयोग (ECI) ने सुप्रीम कोर्ट को साफ़ कर दिया है कि अब ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से किसी का नाम बिना पूरी कानूनी प्रक्रिया के नहीं हटाया जाएगा।

नाम काटने से पहले नोटिस, सुनवाई और लिखित आदेश ज़रूरी

चुनाव आयोग ने अपने डिप्टी इलेक्शन कमिश्नर संजय कुमार के ज़रिए दाखिल किए गए अतिरिक्त हलफ़नामे में कहा है कि 1 अगस्त 2025 को जारी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में से किसी भी मतदाता का नाम हटाने से पहले तीन अहम कदम उठाए जाएंगे—पहला, मतदाता को पहले से नोटिस भेजकर कारण बताना होगा; दूसरा, उसे अपनी बात रखने और ज़रूरी दस्तावेज़ देने का पूरा मौका मिलेगा; और तीसरा, सक्षम अधिकारी को एक स्पष्ट और वजह के साथ लिखित आदेश जारी करना होगा।Bihar Election 2025

ADR की याचिका पर जवाब

यह हलफ़नामा NGO एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की उस याचिका के जवाब में दाखिल किया गया है, जिसमें बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया पर सवाल उठाए गए थे। आयोग ने बताया कि इस प्रक्रिया में किसी भी गलत कार्रवाई से बचने के लिए दो-स्तरीय अपील प्रणाली भी बनाई गई है, जिससे हर मतदाता को न्याय पाने का पूरा मौका मिलेगा।

SIR की अब तक की प्रगति

आयोग ने बताया कि SIR का पहला चरण पूरा हो चुका है और बूथ लेवल अधिकारियों (BLOs) ने घर-घर जाकर मतदाताओं से एन्यूमरेशन फॉर्म भरवाए हैं। 1 अगस्त को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट प्रकाशित की गई। जिन मतदाताओं के फॉर्म नहीं मिले, उनकी जानकारी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को दे दी गई ताकि समय रहते सुधार किया जा सके और नाम लिस्ट में जोड़े जा सकें।

20 जुलाई तक इन मतदाताओं की सूची राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंट्स को सौंपी गई, और दलों की सक्रियता को देखते हुए अद्यतन सूचियां भी फिर से साझा की गईं।

बड़े पैमाने पर भागीदारी और जागरूकता अभियान

आयोग ने बताया कि बिहार के 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 7.24 करोड़ से अधिक ने अपने फॉर्म जमा कर दिए। इस दौरान राज्य चुनाव मशीनरी, स्वयंसेवकों और पार्टी एजेंट्स ने अहम भूमिका निभाई।

प्रवासी मजदूरों के लिए 246 हिंदी अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित किए गए। लगभग 2.5 लाख स्वयंसेवकों, जिनमें ज्यादातर बिहार सरकार के अधिकारी हैं, को मतदाताओं की मदद के लिए तैनात किया गया, ताकि उन्हें ज़रूरी दस्तावेज़ जुटाने में परेशानी न हो।Bihar Election 2025

सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में प्रक्रिया

यह SIR, 2003 के बाद बिहार में पहली बार किया जा रहा है। ADR, PUCL और अन्य संगठनों ने इस पर आपत्ति जताई थी और सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की थी। अदालत ने 10 जुलाई को इस प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, लेकिन आदेश दिया कि आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड को वैध दस्तावेज़ माना जाए। अब इस मामले की सुनवाई 12 और 13 अगस्त को होगी।

बिहार में इस बार चुनावी माहौल में सिर्फ प्रचार और वादों की गूंज ही नहीं, बल्कि मतदाता सूची की पारदर्शिता भी बड़ा मुद्दा बन चुकी है। चुनाव आयोग का यह आश्वासन कि बिना नोटिस, सुनवाई और लिखित आदेश के किसी का नाम नहीं कटेगा, मतदाताओं के भरोसे को मज़बूत करता है।

Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी आधिकारिक हलफ़नामे, सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही और चुनाव आयोग की घोषणाओं पर आधारित है। किसी भी आधिकारिक अपडेट के लिए चुनाव आयोग की वेबसाइट या स्थानीय चुनाव कार्यालय से संपर्क करें।

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Rishant Verma