Europa Clipper: मिशन मंगल के बाद अब युरोपा पर दस्तक, क्या मिलेंगे एलियंस के संकेत?

Europa Clipper: जब बात हमारे सौरमंडल के रहस्यमय चंद्रमाओं की होती है, तो बृहस्पति का चंद्रमा युरोपा सबसे खास माना जाता है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि वहां बर्फ की मोटी परत के नीचे विशाल समुद्र मौजूद हो सकता है, जो जीवन के संकेत दे सकता है। और इसी तलाश को नया आयाम देने निकला है NASA का Europa Clipper। हाल ही में हुए इसके मार्स फ्लाईबाई टेस्ट ने न सिर्फ इस मिशन की तकनीकी ताकत को साबित किया, बल्कि भविष्य की आशाओं को और भी मजबूत कर दिया।

मंगल पर हुई खास टेस्टिंग – रडार ने किया कमाल

Europa Clipper जब मार्च 2025 में मंगल ग्रह के पास से गुजरा, तो इसने अपने सबसे जरूरी उपकरण, REASON (Radar for Europa Assessment and Sounding: Ocean to Near-surface) का परीक्षण किया। ये रडार युरोपा की बर्फीली सतह के अंदर झांकने में मदद करेगा – और यह जानने की कोशिश करेगा कि क्या वहां बर्फ के नीचे पानी की जेबें या पूरा महासागर है।

टेक्सास यूनिवर्सिटी के डॉन ब्लैंकेनशिप, जो इस रडार के प्रमुख वैज्ञानिक हैं, ने कहा, “हमने इस फ्लाईबाई से वही सब कुछ पाया जिसकी हमने उम्मीद की थी। रडार ने बिल्कुल वैसा ही प्रदर्शन किया जैसा हम चाहते थे।”Europa Clipper

क्यों खास है यह रडार?

REASON को खासतौर पर इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह बर्फीले चंद्रमा युरोपा की सतह के नीचे की परतों को देख सके। इसका काम सिर्फ यह पता लगाना नहीं है कि वहां पानी है या नहीं, बल्कि यह भी देखना है कि सतह के ऊपर की भौगोलिक संरचनाएं जैसे ऊंची-नीची चट्टानें या दरारें, अंदर के समुद्र से कैसे जुड़ी हैं।

धरती पर नहीं हो पाया था पूरा टेस्ट

इस रडार का आकार और इसकी तकनीक इतनी बड़ी है कि इसे पृथ्वी पर पूरी तरह से टेस्ट करना संभव नहीं था। इसे जांचने के लिए 250 फीट लंबे इको चेंबर की ज़रूरत थी, जो NASA के पास उपलब्ध नहीं था। इसलिए Europa Clipper के मंगल ग्रह के पास से गुजरने का मौका एक परफेक्ट टेस्टिंग ग्राउंड बन गया।

जब स्पेसक्राफ्ट ने मंगल की सतह से करीब 3,100 मील से 550 मील की दूरी पर उड़ान भरी, तो इसने करीब 40 मिनट तक रडार तरंगों को भेजा और ग्रह की सतह से वापस आने वाले सिग्नल्स को रिकॉर्ड किया। इससे वैज्ञानिकों को 60 गीगाबाइट से अधिक डेटा मिला, जिसने साफ दिखा दिया कि रडार पूरी तरह तैयार है।

Europa Clipper का अगला पड़ाव

Europa Clipper अब करीब 280 मिलियन मील (450 मिलियन किमी) दूर है और यह 2026 में पृथ्वी की ग्रेविटी असिस्ट लेकर अपने सफर को तेज करेगा। कुल मिलाकर यह अंतरिक्ष यान करीब 1.8 बिलियन मील (2.9 बिलियन किमी) की दूरी तय करेगा ताकि युरोपा की सतह और अंदरूनी संरचना की जांच कर सके।Europa Clipper

इस मिशन से क्या मिलेगा?

NASA इस मिशन से तीन प्रमुख बातें जानना चाहता है – युरोपा की बर्फ की मोटाई, बर्फ और महासागर के बीच की बातचीत और चंद्रमा की भौगोलिक संरचना। इस मिशन की मदद से वैज्ञानिक यह समझने की कोशिश करेंगे कि क्या युरोपा पर जीवन की संभावना हो सकती है।

Europa Clipper का यह सफर और इसकी शानदार शुरुआत साबित करती है कि मानवता अब सिर्फ पृथ्वी पर नहीं, बल्कि दूर-दराज के चंद्रमाओं पर भी जीवन के संकेतों की तलाश में पूरी ताकत से जुट चुकी है।

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी NASA और संबंधित वैज्ञानिक स्रोतों पर आधारित है। इसका उद्देश्य पाठकों को अंतरिक्ष विज्ञान और Europa Clipper मिशन के प्रति जागरूक करना है। इसमें दिए गए तथ्यों की पुष्टि आधिकारिक रिपोर्ट्स से की गई है।

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Rishant Verma