Gandhinagar :गुजरात के मछुआरों के लिए खुशखबरी
गांधीनगर से आई ताज़ा खबर ने राज्य के मत्स्य पालन से जुड़े लाखों लोगों के चेहरे पर मुस्कान ला दी है। गुजरात, जो देश का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक राज्य है, आने वाले साल में एक नया कीर्तिमान बनाने की तैयारी में है। राज्य सरकार ने ऐलान किया है कि अक्टूबर 2024 से सितंबर 2025 के बीच गुजरात में मछली उत्पादन का आंकड़ा लगभग 10.37 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच सकता है। यह पिछले साल की तुलना में करीब 14.19% की बढ़ोतरी होगी।
पिछले साल का रिकॉर्ड और नया लक्ष्य
राज्य सरकार के अनुसार, पिछले चार सालों में गुजरात का औसत वार्षिक मछली उत्पादन 8.56 लाख मीट्रिक टन रहा है। अक्टूबर 2023 से सितंबर 2024 के बीच, समुद्री मछली उत्पादन 7,04,828 मीट्रिक टन और अंतर्देशीय (इनलैंड) मछली उत्पादन 2,03,073 मीट्रिक टन दर्ज किया गया, जिससे कुल उत्पादन 9,07,901 मीट्रिक टन तक पहुंचा। इस बार का लक्ष्य इस रिकॉर्ड को पीछे छोड़ने का है।
केंद्र और राज्य सरकार की बड़ी मदद
मत्स्य क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए केंद्र सरकार ने 2025-26 में गुजरात को प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY) के तहत 50 करोड़ रुपये की अनुदान राशि दी है। यह योजना मछली उत्पादन, गुणवत्ता, आधुनिक तकनीक, पोस्ट-हार्वेस्ट इंफ्रास्ट्रक्चर और मार्केटिंग जैसे क्षेत्रों में सुधार लाने के लिए बनाई गई है। 2020-21 से 2024-25 के बीच, केंद्र सरकार गुजरात के लिए इस योजना के तहत 897.54 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दे चुकी है।
मछुआरों के लिए नए अवसर
गुजरात सरकार भी इस क्षेत्र को और मज़बूत बनाने के लिए लगातार कदम उठा रही है। डीज़ल पर वैट में कमी, केरोसीन और पेट्रोल पर सब्सिडी, बेहतर बंदरगाह सुविधाएं, झींगा पालन के लिए ज़मीन आवंटन और नए मछली पकड़ने वाले बंदरगाहों का निर्माण—ये सभी पहल मछुआरों के लिए नए अवसर खोलेंगी। वर्तमान में माधवद, नवा बंदर, वेरावल-2 और सुतरपाड़ा में चार नए फिशिंग पोर्ट विकसित किए जा रहे हैं।
आधुनिक तकनीक और नई योजनाएं
इसके साथ ही, परंपरागत मछुआरों के लिए नाव और जाल बदलने में मदद, मछली उप-उत्पाद प्रोसेसिंग यूनिट्स की स्थापना, समुद्री शैवाल (सीवीड) के बीज बैंक, झींगा, मछली और केकड़े की हैचरी और आधुनिक राफ्ट या ट्यूब नेट सिस्टम से सीवीड कल्चर को बढ़ावा देने की योजनाएं भी लागू की जाएंगी।
भविष्य की बड़ी छलांग
अगर यह लक्ष्य पूरा हुआ, तो गुजरात न केवल अपनी आर्थिक ताकत को बढ़ाएगा, बल्कि मत्स्य पालन में देश का लीडर बनने की दिशा में एक बड़ी छलांग भी लगाएगा।
डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी सरकारी बयानों और उपलब्ध आंकड़ों पर आधारित है। उत्पादन के वास्तविक आंकड़े मौसम, प्राकृतिक परिस्थितियों और नीतिगत बदलावों के आधार पर बदल सकते हैं।
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