India Russia Trade :जब बात अपने देश की सुरक्षा और हितों की हो, तो भारत किसी भी दबाव के आगे झुकने वाला देश नहीं है। रूस से तेल खरीदने पर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की धमकी के बाद भारत ने न सिर्फ मजबूती से अपना पक्ष रखा, बल्कि अमेरिका और यूरोप की दोहरी नीति पर तीखा हमला भी किया। इस पूरे घटनाक्रम में रूस भी भारत के समर्थन में खुलकर सामने आया और ज़ोर देकर कहा कि हर संप्रभु राष्ट्र को अपने व्यापारिक फैसले खुद लेने का अधिकार है।
ट्रंप की धमकी और भारत पर टैरिफ बढ़ाने की चेतावनी
डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को कहा कि भारत रूस से बड़ी मात्रा में तेल खरीदकर भारी मुनाफा कमा रहा है, और इसके चलते अमेरिका भारत पर “काफी ज़्यादा” टैरिफ लगाने जा रहा है। ट्रंप के इस बयान से साफ है कि वे भारत की स्वतंत्र नीति और रूस के साथ बढ़ते रिश्तों से परेशान हैं। उन्होंने यहां तक कह दिया कि भारत को इस “व्यापार” की कीमत चुकानी होगी।
रूस का सीधा जवाब: हर देश को है स्वतंत्रता
ट्रंप की इस धमकी पर मंगलवार को रूस की ओर से भी प्रतिक्रिया आई। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने साफ कहा कि कोई भी संप्रभु देश अपने आर्थिक और व्यापारिक साझेदार खुद चुन सकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि देशों को अपने हितों के अनुसार फैसले लेने की पूरी आज़ादी होनी चाहिए, और यह अधिकार उन्हें कोई नहीं छीन सकता।
भारत की सख्त प्रतिक्रिया: दोहरे मापदंड अब नहीं चलेंगे
भारत ने भी इस बार चुप्पी नहीं साधी। विदेश मंत्रालय ने अमेरिका और यूरोपीय संघ पर जमकर हमला बोला और कहा कि भारत को टारगेट करना पूरी तरह “अनुचित और बेवजह” है। भारत ने ये भी साफ किया कि अमेरिका और यूरोप खुद आज भी रूस से व्यापार कर रहे हैं — चाहे वह उर्जा हो, खाद, रसायन, स्टील, खनिज या मशीनरी। तो फिर भारत से ही क्यों सवाल?
भारत ने कहा कि अमेरिका अभी भी रूस से यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, पैलेडियम, रसायन और उर्वरक जैसे महत्वपूर्ण संसाधन आयात कर रहा है। ऐसे में जब वे खुद ऐसा कर रहे हैं, तो भारत पर अंगुली उठाना पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण है। भारत ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि वह अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा को ध्यान में रखकर ही फैसले लेता है, न कि किसी विदेशी दबाव के तहत।
रूस का अमेरिका पर तीखा वार: नव-उपनिवेशवाद का चेहरा
रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़ाखारोवा ने अमेरिका पर वैश्विक दक्षिण (Global South) के देशों के खिलाफ नव-उपनिवेशवादी नीति अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अमेरिका आज भी विश्व में अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए आर्थिक दबाव और प्रतिबंधों का हथियार इस्तेमाल कर रहा है। लेकिन दुनिया अब बहुध्रुवीय हो रही है और अमेरिका के इस वर्चस्ववादी रवैये को अब देश स्वीकार नहीं करेंगे।
निष्कर्ष: भारत की आवाज़ अब और बुलंद
यह पूरी घटना बताती है कि भारत अब वैश्विक मंच पर मजबूती से खड़ा है। वह अपनी स्वतंत्र विदेश नीति को किसी की धमकियों के आगे गिरवी नहीं रखेगा। रूस जैसे पुराने दोस्त का साथ और अंतरराष्ट्रीय दबावों के खिलाफ एक मजबूत स्टैंड भारत की बदलती भूमिका को दर्शाता है। चाहे टैरिफ हो या आलोचना, भारत अब हर चुनौती का डटकर सामना करने के लिए तैयार है।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्य के लिए लिखा गया है। इसमें व्यक्त विचार स्वतंत्र रूप से मीडिया रिपोर्ट्स और आधिकारिक बयानों पर आधारित हैं। हम किसी भी राजनीतिक पक्ष या नीति का समर्थन या विरोध नहीं करते।
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