AI :आज की दुनिया तेजी से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की ओर बढ़ रही है। तकनीक के इस तूफानी दौर में जहां कुछ लोग AI को तरक्की का रास्ता मान रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कई लोगों को डर सता रहा है – खासकर नौकरी जाने का। लेकिन MIT के मशहूर अर्थशास्त्री डेविड ऑटोर ने इस विषय में एक अलग और चौंकाने वाली तस्वीर पेश की है। उन्होंने भविष्य की जो झलक दिखाई है, वह सिर्फ बेरोजगारी तक सीमित नहीं, बल्कि इंसान की मेहनत की वैल्यू खत्म हो जाने तक पहुंचती है।
‘मैड मैक्स’ जैसी दुनिया की चेतावनी
डेविड ऑटोर ने कहा कि आने वाला समय किसी सपनों की दुनिया जैसा नहीं, बल्कि ‘Mad Max: Fury Road’ जैसी एक डरावनी हकीकत भी बन सकता है, जहां संसाधनों की भारी कमी होगी, और ताकतवर अमीर वर्ग उन पर पूरी तरह कब्जा कर लेगा। बाकी आम लोग आपस में बची-खुची दौलत के लिए जद्दोजहद करेंगे।उन्होंने यह बात लिंक्डइन के को-फाउंडर रीड हॉफमैन द्वारा होस्ट किए गए पॉडकास्ट “Possible” में कही।
काम खत्म नहीं होगा, लेकिन उसकी कीमत जरूर गिर सकती है
डेविड ऑटोर के अनुसार, AI की वजह से केवल काम खत्म नहीं होंगे, बल्कि लोगों के पास जो स्किल्स हैं, वे इतनी आम हो जाएंगी कि उनकी कोई खास वैल्यू ही नहीं रह जाएगी। यानी काम तो मिलेगा, लेकिन उसकी कीमत नहीं। मेहनत करने पर भी लोगों को वो सैलरी नहीं मिल पाएगी जो आज मिलती है।
जॉब्स रहेंगी, लेकिन उनकी क्वालिटी होगी खराब
वो उदाहरण देते हुए कहते हैं कि जैसे टाइपिस्ट, फैक्ट्री टेक्नीशियन, टैक्सी ड्राइवर जैसे काम पहले अच्छा पैसा देते थे, लेकिन तकनीक ने इन्हें या तो कम सैलरी वाले बना दिया या पूरी तरह खत्म कर दिया। अब भी लोग बेरोजगार नहीं होंगे, लेकिन उन्हें कम वेतन वाले कामों में धकेल दिया जाएगा – जैसे सफाई, सिक्योरिटी या फूड सर्विस जैसी नौकरियाँ जो न तो ज़्यादा ट्रेनिंग मांगती हैं और न ही अच्छा वेतन देती हैं।
AI एक्सपर्ट बना सकता है या केवल सहायक
ऑटोर का मानना है कि ऑटोमेशन दो तरह से काम करता है – या तो यह आपकी एक्सपर्टीज को बढ़ा देता है, जिससे आप ज्यादा क्रिएटिव बनते हैं, या फिर यह आपके एक्सपर्ट लेवल के कामों को मशीन से करवाकर आपको सिर्फ “आखिरी पड़ाव” पर छोड़ देता है। यानी आपकी असली काबिलियत गायब हो जाती है और आप सिर्फ एक मशीन का सहायक बनकर रह जाते हैं।
Salesforce की रिपोर्ट ने भी दी AI से बदलाव की चेतावनी
हाल ही में आई Salesforce की एक रिपोर्ट के मुताबिक, आने वाले दो सालों में 23% वर्कफोर्स को AI की वजह से दूसरी जगह शिफ्ट किया जाएगा। जिनकी नौकरी बनी भी रहेगी, उनके काम के स्वरूप में बड़ा बदलाव आने वाला है।
टेक्नोलॉजी से बढ़ रही असमानता को कैसे रोका जाए?
क्या इस तकनीकी असमानता को रोका जा सकता है? डेविड ऑटोर का कहना है कि अगर हम चाहें, तो AI को ऐसा डिज़ाइन कर सकते हैं कि यह इंसानों की मदद करे, न कि उन्हें पीछे छोड़ दे। उनका मानना है कि AI का इस्तेमाल सबसे पहले हेल्थकेयर और एजुकेशन जैसे क्षेत्रों में होना चाहिए, जहां इसका प्रभाव सकारात्मक और सामाजिक रूप से फायदेमंद हो सकता है।
AI से समाज को फायदा कैसे पहुंच सकता है?
ऑटोर बताते हैं कि अमेरिका की जीडीपी का 20% हिस्सा केवल हेल्थ और एजुकेशन सेक्टर से आता है, जिसमें काफी हद तक सरकारी पैसा शामिल होता है। अगर AI को सही दिशा में उपयोग किया जाए, तो यह शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा को एक नई ऊंचाई दे सकता है – जहां तकनीक मानवता की सेवा में हो।
डिस्क्लेमर:- यह लेख AI, अर्थव्यवस्था और भविष्य की नौकरियों को लेकर MIT अर्थशास्त्री डेविड ऑटोर के विचारों पर आधारित है। इसमें दी गई जानकारी विभिन्न विश्वसनीय स्रोतों से ली गई है और इसका उद्देश्य पाठकों को तकनीकी भविष्य की एक संभावित तस्वीर दिखाना है। किसी भी नीति या निवेश संबंधी निर्णय से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ से सलाह लेना उचित होगा।
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