Karun Nair :जब कोई खिलाड़ी आठ साल तक मैदान से दूर रहकर भी अपने सपनों को नहीं छोड़ता, तो वह सिर्फ एक वापसी नहीं करता – वह पूरे खेल जगत को यह सिखा जाता है कि हौसले और मेहनत के आगे कोई भी दूरी मायने नहीं रखती। करुण नायर की भारतीय टेस्ट टीम में वापसी भी कुछ ऐसी ही कहानी है – एक शांत योद्धा की जो कभी हारा नहीं, कभी झुका नहीं।
घरेलू क्रिकेट से फिर से खुद को साबित किया
करुण नायर ने कभी हार नहीं मानी। भले ही वह अंतरराष्ट्रीय टीम से बाहर थे, लेकिन उनके बल्ले की खामोशी सिर्फ मैदान तक सीमित रही। 2024-25 के घरेलू सीजन में विदर्भ की ओर से खेलते हुए उन्होंने 863 रन बनाए, वो भी शानदार औसत 53.93 के साथ। इस प्रदर्शन ने न सिर्फ उन्हें चर्चा में लाया, बल्कि विदर्भ को रणजी ट्रॉफी का विजेता भी बना दिया।
इसी सीजन में विजय हज़ारे ट्रॉफी में उन्होंने कुछ ऐसा कर दिखाया जो शायद ही किसी बल्लेबाज़ ने किया हो – सिर्फ 8 पारियों में 5 शतक, और औसत? वो था 389.50! जी हां, एक असंभव सा आंकड़ा, लेकिन करुण ने उसे भी मुमकिन कर दिखाया।
India A के लिए दोहरा शतक, फिर मिली टीम इंडिया की कॉल
इसी दमदार फॉर्म की बदौलत करुण नायर को England Lions के खिलाफ इंडिया ए की तरफ से खेलने का मौका मिला, जहां उन्होंने एक शानदार दोहरा शतक जड़ा। और फिर आया वो पल, जिसका उन्हें सालों से इंतज़ार था – भारतीय टेस्ट टीम में वापसी का बुलावा।
13 जून को उन्होंने Beckenham में टीम इंडिया से जुड़कर टेस्ट सीरीज़ की तैयारियाँ शुरू कीं। भले ही इंग्लैंड के खिलाफ दो टेस्ट मैचों में उन्होंने सिर्फ 77 रन बनाए, लेकिन उनकी संघर्ष की कहानी और जज़्बा हर किसी के लिए प्रेरणा बन गई।
गौतम गंभीर और राहुल का मिला समर्थन
भारतीय टीम के हेड कोच गौतम गंभीर ने नायर की वापसी को लेकर कहा,
“Comebacks are never easy. लेकिन करुण ने जो किया, वह भारतीय क्रिकेट के लिए एक मिसाल है।”
उन्होंने ये भी जोड़ा कि “पहली क्लास क्रिकेट ही भारतीय क्रिकेट की असली नींव है, और करुण ने वहीं लौटकर खुद को साबित किया है।”
टीम के साथी केएल राहुल भी बेहद भावुक नज़र आए। उन्होंने कहा,
“मैं करुण को सालों से जानता हूँ। यूके में बिताए उसके कठिन दिन, अकेलापन, मेहनत – हमने सब देखा है। उसकी वापसी उसके परिवार और हम सभी दोस्तों के लिए बहुत खास है।”
वापसी सिर्फ रन से नहीं होती, इरादों से होती है
करुण नायर की यह वापसी सिर्फ उनके आंकड़ों की नहीं, उनकी सोच, संघर्ष और लगातार लगे रहने की कहानी है। आज जब ज्यादातर खिलाड़ी छोटी असफलता के बाद निराश हो जाते हैं, करुण ने दिखा दिया कि धैर्य, अभ्यास और आत्मविश्वास के साथ कुछ भी संभव है।
वो खिलाड़ी जिसने कभी भारत के लिए तिहरा शतक लगाया था, वही खिलाड़ी आज फिर उसी जज़्बे के साथ खड़ा है, और हमें याद दिलाता है कि सपनों की राह लंबी हो सकती है, लेकिन रुकने से मंज़िल नहीं मिलती।
Disclaimer:-यह लेख सार्वजनिक रूप से उपलब्ध रिपोर्ट्स, इंटरव्यू और क्रिकेट संबंधित जानकारी के आधार पर लिखा गया है। इसमें प्रस्तुत सभी जानकारियां केवल सामान्य सूचना के उद्देश्य से हैं और किसी भी आधिकारिक स्रोत से सीधे पुष्टि नहीं की गई है। अधिक सटीक जानकारी के लिए आधिकारिक क्रिकेट बोर्ड या खिलाड़ियों की आधिकारिक प्रोफाइल देखें।
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