Rupee Weaken: डॉलर के आगे बेदम रुपया 88.14 पर बंद, विदेशी निवेशकों की निकासी से बढ़ा दबाव

Rupee Weaken: आम लोगों की जेब पर असर डालने वाली खबर एक बार फिर सामने आई है। भारतीय रुपया गुरुवार, 4 सितंबर 2025 को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 12 पैसे टूटकर 88.14 के स्तर पर बंद हुआ। विदेशी निवेशकों की लगातार निकासी और डॉलर की बढ़ती ताकत ने रुपये को नीचे खींचा। हालांकि, घरेलू शेयर बाजार में सकारात्मक रुख और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ने बड़े नुकसान से बचा लिया।

सुबह की बढ़त, शाम की गिरावट

इंटरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 88.09 पर खुला और कारोबार के दौरान 87.85 से 88.19 के दायरे में घूमता रहा। दिन के अंत में यह 12 पैसे टूटकर 88.14 पर बंद हुआ। इससे एक दिन पहले, बुधवार को रुपया अपने सर्वकालिक निचले स्तर से 13 पैसे उछलकर 88.02 पर बंद हुआ था।Rupee Weaken

विदेशी निवेशकों की बिकवाली और RBI की दखल

फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स के हेड ऑफ ट्रेजरी, अनिल कुमार भंसाली ने बताया कि रुपये में शुरुआती बढ़त लंबे समय तक टिक नहीं पाई। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक लगातार डॉलर खरीद रहे हैं और इक्विटी बाजार से पैसा निकाल रहे हैं। वहीं, रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया ने ऊपरी स्तर पर डॉलर बेचकर रुपये को सहारा देने की कोशिश की।

अमेरिकी नीतियों और अंतरराष्ट्रीय दबाव का असर

रुपये पर लगातार दबाव की एक बड़ी वजह अमेरिका की टैरिफ पॉलिसी और पूंजी का बाहर जाना भी है। भंसाली का कहना है कि जीएसटी दरों में हालिया संशोधन से सुबह थोड़ी राहत जरूर मिली, लेकिन रुपये पर भारी दबाव कायम रहा। निकट भविष्य में रुपया 87.80 से 88.50 के बीच कारोबार कर सकता है।

डॉलर और कच्चे तेल की स्थिति

डॉलर इंडेक्स, जो छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले ग्रीनबैक की ताकत को मापता है, 0.08% बढ़कर 98.21 पर पहुंच गया। वहीं, ब्रेंट क्रूड का भाव 1.07% टूटकर 66.88 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। तेल की कीमतों में यह गिरावट रुपये के लिए थोड़ी राहत साबित हुई।Rupee Weaken

शेयर बाजार में हल्की तेजी

घरेलू शेयर बाजार ने रुपये को थोड़ा सहारा दिया। सेंसेक्स 150.30 अंक चढ़कर 80,718.01 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 19.25 अंक बढ़कर 24,734.30 पर पहुंच गया। हालांकि, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने बुधवार को ही 1,666 करोड़ रुपये की बिकवाली की थी।

निष्कर्ष:-

रुपये की मौजूदा कमजोरी आम जनता से लेकर व्यापारियों तक, हर किसी पर असर डाल रही है। विदेशी पूंजी निकासी और अमेरिकी नीतियां जहां दबाव बना रही हैं, वहीं घरेलू बाजार और कच्चे तेल की कीमतें राहत का काम कर रही हैं। आने वाले दिनों में रुपये की चाल अंतरराष्ट्रीय हालात और निवेशकों की धारणा पर निर्भर करेगी।

अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी विश्वसनीय स्रोतों और ताज़ा रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल जानकारी देना है। निवेश या वित्तीय निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना ज़रूरी है।

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Rishant Verma