US Tariff :भारत-चीन रिश्तों में नई पहल: वांग यी की दिल्ली यात्रा से बढ़ी सुलह की उम्मीद

US Tariff :कभी तनाव, कभी बातचीत और अब उम्मीद—भारत और चीन के रिश्ते इन दिनों एक नए मोड़ पर खड़े हैं। लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद और राजनीतिक मतभेदों के बीच अब दोनों देश फिर से एक-दूसरे के करीब आने की कोशिश कर रहे हैं। इसी कड़ी में चीन के विदेश मंत्री वांग यी अगले हफ्ते नई दिल्ली पहुंच सकते हैं, जो तीन साल से अधिक समय बाद उनकी भारत यात्रा होगी। यह मुलाकात ऐसे वक्त में हो रही है, जब वैश्विक स्तर पर बदलते समीकरणों के बीच दोनों पड़ोसी देश अपने रिश्तों को एक नई दिशा देने की तैयारी में हैं।

सीमा विवाद में तनाव कम करने की कोशिश

18 अगस्त को प्रस्तावित इस यात्रा के दौरान वांग यी की मुलाकात भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस. जयशंकर से होने की संभावना है। सूत्रों के अनुसार, बातचीत का मुख्य एजेंडा हिमालयी सीमा पर तैनात सैनिकों की संख्या कम करने पर रहेगा। अगर इस दिशा में कोई ठोस कदम उठता है, तो यह भारत-चीन रिश्तों में विश्वास बहाली की दिशा में एक अहम प्रगति होगी।US Tariff

व्यापार और संपर्क बहाली की पहल

दोनों देश न केवल सीमा पर तनाव कम करने पर चर्चा कर रहे हैं, बल्कि पांच साल बाद सीमा पार स्थानीय व्यापार को फिर से शुरू करने पर भी विचार कर रहे हैं। यह व्यापार पहले मसाले, कालीन, लकड़ी का फर्नीचर, पशु चारा, मिट्टी के बर्तन, औषधीय पौधे, इलेक्ट्रिक सामान और ऊन जैसे स्थानीय उत्पादों पर आधारित था। कोविड-19 महामारी और 2020 के सीमा संघर्ष के बाद इसे बंद कर दिया गया था, लेकिन अब इस पर फिर से बातचीत शुरू हो चुकी है।

उड़ानों और आपसी मुलाकातों की बहाली

सूत्रों के मुताबिक, भारत और चीन अगले महीने से सीधी उड़ानें भी शुरू कर सकते हैं। यह फैसला दोनों देशों के बीच संपर्क और व्यापार को एक नई गति देगा। इसी महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी चीन जाने की संभावना है, जहां वे सात साल बाद पहली बार जाएंगे और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इस दौरान उनकी मुलाकात राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी हो सकती है।

अमेरिका-भारत समीकरणों के बीच चीन-भारत नजदीकी

यह पहल ऐसे समय में हो रही है, जब भारत और अमेरिका के रिश्तों में कुछ खटास आई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय निर्यात पर 50% तक टैरिफ लगा दिया है, जो क्षेत्रीय देशों की तुलना में काफी ज्यादा है। इसके अलावा, रूस से सस्ते तेल की खरीद पर भी अमेरिका ने नाराजगी जताई है, लेकिन भारत का मानना है कि इस खरीद ने वैश्विक बाजार को स्थिर रखने में मदद की है।

भविष्य की संभावनाएं

चीन के विदेश मंत्रालय का कहना है कि बीजिंग, भारत के साथ मिलकर मतभेदों को सही तरीके से सुलझाने के लिए तैयार है। सीमा व्यापार को स्थानीय लोगों की आजीविका के लिए अहम बताते हुए चीन ने इस दिशा में तेजी से काम करने की इच्छा जताई है। अगर इन कोशिशों को मजबूती मिलती है, तो न केवल सीमा पर शांति बहाल होगी, बल्कि आर्थिक और सांस्कृतिक संबंध भी फिर से मजबूत हो सकते हैं।US Tariff

निष्कर्ष

भारत और चीन के बीच बीते कुछ सालों में रिश्तों ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन मौजूदा पहल से यह संकेत मिलता है कि दोनों देश आपसी मतभेदों को बातचीत के जरिए सुलझाने के लिए गंभीर हैं। अगर यह प्रयास सफल होते हैं, तो यह सिर्फ दोनों देशों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की स्थिरता और विकास के लिए एक सकारात्मक संकेत होगा।

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स और सरकारी सूत्रों पर आधारित है। किसी भी आधिकारिक घोषणा या यात्रा कार्यक्रम की पुष्टि के लिए संबंधित सरकारी विभाग के बयान को ही मानें।

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Rishant Verma