गांव का शांत सवेरा अचानक मातम में बदल गया
Vadodara Bridge Collapse :बुधवार की सुबह गुजरात के वडोदरा ज़िले के मुझपुर के पास जैसे ही लोग अपने दिन की शुरुआत कर रहे थे, एक ऐसी चीख पुकार मची जिसने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया। चार दशक पुराना गम्भीरा पुल अचानक टूट गया। देखते ही देखते दो ट्रक, एक पिकअप वैन, एक ऑटो रिक्शा और एक ईको वाहन समेत कई गाड़ियाँ उफनती नदी में समा गईं। हादसे में अब तक 9 लोगों की जान जा चुकी है और 5 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है।
मौके पर मचा हाहाकार, गांववालों ने बचाव में दिखाई हिम्मत
इस भयानक हादसे के बाद ग़ांववालों ने सबसे पहले मौके पर पहुंचकर मदद की। किसी ने रस्सियाँ फेंकी, तो किसी ने पानी में कूदकर जान जोखिम में डाल दी। पुलिस और एनडीआरएफ की टीमें कुछ ही समय बाद पहुंचीं, लेकिन तब तक नदी ने कई जिंदगियों को निगल लिया था।
गम्भीरा पुल – एक काला इतिहास, फिर भी लापरवाही जारी
गम्भीरा पुल, जो आनंद और वडोदरा को जोड़ता है, स्थानीय लोगों में एक “सुसाइड पॉइंट” के रूप में भी कुख्यात था। यह जानकारी प्रशासन के पास भी थी, फिर भी कभी गंभीरता से इसकी हालत की जाँच नहीं की गई। पुल साल 1985 में बना था और इसे 100 साल की उम्र के लिए डिज़ाइन किया गया था।
प्रशासन की सफाई और सवालों की बौछार
वडोदरा के कलेक्टर ने बताया कि अब तक 9 लोगों की मौत हो चुकी है। सभी गाड़ियों को नदी और पुल से हटाया जा चुका है और घायलों को सीएचसी सेंटर्स में भर्ती करवाया गया है। वहीं, गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने दावा किया कि पुल की समय-समय पर मरम्मत होती रही थी।
आर एंड बी विभाग के कार्यकारी अभियंता एन. एम. नायकावाला ने कहा कि पुल की स्थिति जर्जर नहीं थी। बीते साल इसकी मरम्मत की गई थी और इस साल गड्ढे भरे गए थे। उनके अनुसार निरीक्षण में कोई गंभीर खराबी नहीं पाई गई थी। लेकिन अब सवाल यह है कि अगर पुल सुरक्षित था तो वह अचानक कैसे ढह गया?
मुख्यमंत्री ने दिए जांच के आदेश
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने इस हादसे को गंभीरता से लेते हुए तकनीकी विशेषज्ञों की टीम को जांच के लिए भेजा है। एनडीआरएफ की टीम भी राहत सामग्री के साथ मौके पर मौजूद है और बचाव कार्य जारी है।
प्रशासनिक लापरवाही या तकनीकी चूक?
यह घटना केवल एक हादसा नहीं, बल्कि सालों से चली आ रही लापरवाही और अनदेखी का नतीजा है। जब कोई पुल लोगों की ज़िंदगी और मौत का रास्ता बन जाए, तो क्या उसे समय रहते मजबूत करना हमारी प्राथमिकता नहीं होनी चाहिए? क्या कोई रिपोर्ट जान बचाने से ज़्यादा मायने रखती है?
अब ज़रूरत है जवाबदेही की, नहीं तो ऐसे हादसे दोहराए जाएंगे
यह हादसा हमें एक बार फिर चेतावनी देता है कि बुनियादी ढांचे की अनदेखी और दिखावटी मरम्मत लोगों की जान ले सकती है। अब वक्त आ गया है कि हम सिर्फ जांच रिपोर्ट का इंतजार न करें, बल्कि यह सोचें कि कहीं अगला पुल किसकी जिंदगी को लीलने वाला है।
डिस्क्लेमर:- यह लेख घटना पर आधारित है और उपलब्ध आधिकारिक बयानों और समाचार रिपोर्टों के आधार पर लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी पूरी सावधानी और मानवता को ध्यान में रखते हुए प्रस्तुत की गई है। उद्देश्य केवल जागरूकता फैलाना और लोगों को सूचना देना है, न कि किसी संस्था या व्यक्ति को आरोपित करना।
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